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Monday 17 June 2013

जब संघ की स्थापना हुई , उस समय अपने हिंदू समाज की स्थिति ऐसी थी की जो उठता था वही हिंदू समाज पर आक्रमण करता था और यह दृश्य बना हुआ था की जब कभी भी कोई आक्रमण होगा तो हिंदू पिटेगा, हिंदू मरेगा, हिंदू लूटेगा | यह एक परम्परा बन गयी थी | इसलिए हिंदू यानि दब्बू, हिंदू यानि कायर, हिंदू यानि गौ जैसा बड़ा ही शांत रहने वाला प्राणी | इसका तुम अपमान करो तो वह प्रतिकार नहीं करता, इसको मारो तो चुप-चाप मार खाता है | 
 
लेकिन इस प्रकार का आत्मविश्वासशुन्य शक्तिशुन्य समाज इस दुनिया में ससम्मान रह नहीं सकता | इसलिए अपने संघ के संस्थापक परमपूजनीय डॉ. हेडगेवार जी ने जब देखा की हिंदू समाज पर चारों तरफ से आक्रमण हो रहे है और हिंदू समाज इस देश का राष्ट्रीय समाज होते हुए भी चुप-चाप सारे अपमानो को सहन कर रहा है, सारे आक्रमणों को झेल रहा है, प्रतिकार नहीं करता तो उन्हें लगा की यह तो ठीक नहीं है | इसलिए उन्होंने प्रतिज्ञा की कि मैं इस हिंदू समाज को बलसंपन, सामर्थ्यसम्पन बनाकर दुनिया में उसे एक अजेय शक्ति के रूप में खड़ा करूँगा | इस हिंदू समाज को संगठित करूँगा और प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्र के प्रति देशभक्ति का भाव जगे, इसलिए शक्ति पूजन के दिन विजयादशमी के दिन सन १९२५ में नागपुर में उन्होंने संघ कार्य की नीव रखी  |

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